पुराणिक कथा के अनुसार एक बार बहुत भयानक असुरों का राजा गजमुख ने चारों तरफ आतंक मचाया हुआ था।वह सभी लोकों में धनवान और शक्तिशाली बनना चाहता था। वह साथ ही सभी देवी-देवताओं को अपने वश में भी करना चाहता था। वह इस वरदान को पाने के लिए भगवान शिवजी की तपस्या करता रहता था। शिव जी से वरदान पाने के लिए वह अपना राज्य छोड़ कर जंगल में रहने लगा और बिना भोजन-पानी के ही दिन-रात तपस्या में लीन रहने लगा।
कुछ सालों बाद शिवजी उसकी तपस्या से प्रसन्न हो गए और सामने पहुंच गए। शिवजी ने खुश होकर उसे दैवीय शक्तियां प्रदान कर दी, जिससे वह बहुत शक्तिशाली बन गया। उसे शिवजी ने सबसे बड़ी शक्ति दे दी थी। भोलेनाथ ने उस असुर को वह शक्ति दी जिसमें उसे किसी भी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था। असुर गजमुख को शक्तियों पर गर्व होने लगा और वह इसका दुरुपयोग भी करने लगा। उसने देवी-देवताओं पर भी आक्रमण कर दिया।
सिर्फ भोलेनाथ, श्री हरि विष्णु, श्री ब्रह्मा और गणेश जी ही उसके आतंक से बचे रह सकते थे। आसुर गजमुख चाहता था कि सभी देवी-देवता उसकी पूजा करने लगे। इससे परेशान होकर सभी देवगण शिवजी, विष्णु और ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे...। शिवजी ने गणेशजी को असुर गजमुख को रोकने के लिए भेजा। गजमुख नहीं माना और गणेशजी को गजमुख के साथ युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध में गजमुख बुरी तरह से घायल हो गया, लेकिन तब भी वह नहीं माना।
देखते-ही-देखते उस राक्षस गजमुख ने अपने आपको एक मूषक ( चूहा) के रूप में बदल लिया और गणेशजी की ओर हमला करने के लिए दौड़ा। जैसे ही वह गणेशजी के पास आया, गणेशजी कूदकर उसके ऊपर बैठ गए और गणेशजी ने गजमुख को जीवनभर के लिए मूषक में बदल दिया और अपने वाहन के रूप में जीवनभर के लिए रख लिया। इस घटना के बाद गजमुख बेहद खुश हुआ कि वह गणेशजी का प्रिय मित्र भी बन गया।
तो इस घटना के बाद आसुर गजमुख के आतंक का अंत हुआ और सबी देवगन गणपति जी की महिमा गाते स्वर्गलोक लोट गये।
बोलिए श्री गणपति भगवान की जय
Author-Deepak Hota
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